♥♥♥♥♥ दबा दर्द...♥♥♥♥♥
दबा दर्द बाहर आया है।
वक़्त ने फिर से ठुकराया है।
हिला हवाओं से दरवाज़ा,
कौन भला मिलने आया है।
बुरा वक़्त जब होता है तो,
कोई मरहम नहीं लगाता।
लाख बुलाओ, करो याचना,
पास कोई हरगिज़ नहीं आता।
दिल के रिश्ते भी टुकड़ों में,
टूट-टूट कर गिर जाते हैं,
सब ही आग लगाने वाले,
कोई लपटें नहीं बुझाता।
कड़ी धूप है सर पर गम की,
नहीं जरा सा भी छाया है।
हिला हवाओं से दरवाज़ा,
कौन भला मिलने आया है....
हमने बहुत किया अपनापन,
पर हमसे नफरत सी क्यों है।
नहीं पता के इस दुनिया की,
इक तरफा फितरत सी क्यों है।
"देव " ज़माने भर में हम ही,
बने हैं क्या आंसू पीने को,
नहीं पता के मेरी आखिर,
बिगड़ी ये किस्मत सी क्यों है।
सबने छिड़का नमक ज़ख़्म पे,
किसने आखिर सहलाया है।
हिला हवाओं से दरवाज़ा,
कौन भला मिलने आया है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२७.०५.२०१६
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
दबा दर्द बाहर आया है।
वक़्त ने फिर से ठुकराया है।
हिला हवाओं से दरवाज़ा,
कौन भला मिलने आया है।
बुरा वक़्त जब होता है तो,
कोई मरहम नहीं लगाता।
लाख बुलाओ, करो याचना,
पास कोई हरगिज़ नहीं आता।
दिल के रिश्ते भी टुकड़ों में,
टूट-टूट कर गिर जाते हैं,
सब ही आग लगाने वाले,
कोई लपटें नहीं बुझाता।
कड़ी धूप है सर पर गम की,
नहीं जरा सा भी छाया है।
हिला हवाओं से दरवाज़ा,
कौन भला मिलने आया है....
हमने बहुत किया अपनापन,
पर हमसे नफरत सी क्यों है।
नहीं पता के इस दुनिया की,
इक तरफा फितरत सी क्यों है।
"देव " ज़माने भर में हम ही,
बने हैं क्या आंसू पीने को,
नहीं पता के मेरी आखिर,
बिगड़ी ये किस्मत सी क्यों है।
सबने छिड़का नमक ज़ख़्म पे,
किसने आखिर सहलाया है।
हिला हवाओं से दरवाज़ा,
कौन भला मिलने आया है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२७.०५.२०१६
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "