Sunday, 7 May 2017

♥♥♥♥धुआं धुआं सा...♥♥♥♥♥♥

♥♥♥♥धुआं धुआं सा...♥♥♥♥♥♥
धुआं धुआं सा छाया क्यों है। 
हर एक शख़्श पराया क्यों है। 

भीतर से तो काला है दिल,
बाहर मगर छुपाया क्यों है। 

जिसकी एक दिन मांग भरी थी,
जिंदा उसे जलाया क्यों है। 

सात जन्म तक की कसमें थीं,
एकदम उन्हें भुलाया क्यों है। 

जो मुफ़लिस, कमजोर, बेगुनाह,
कहर उसी पे ढ़ाया क्यों है। 

रोटी का हक़ है, उसको भी,
उसका हिस्सा खाया क्यों है। 

"देव " ज़ख्म जब भर नहीं सकते,
आखिर नमक लगाया क्यों है। "


......चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक- ०८.०५.२०१७  
(मेरी यह रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित ) 


Monday, 1 May 2017

♥क्यूंकि तुमसे प्यार किया है...♥♥

♥♥♥♥♥♥क्यूंकि तुमसे प्यार किया है...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चाहो तो तुम मुझे भुला दो ,
मेरे सब सन्देश जला दो। 
कर दो मेरा शीश अलग तुम,
या फिर मुझको जहर खिला दो। 

जो भी तेरा मन करता हो, सभी जतन तुम बस कर लेना। 
चाहें मुझको ग़म देकर के, खुशियों से झोली भर लेना। 

तेरी जिद, तेरे गुस्से को, हंसकर के स्वीकार किया है। 
तुमसे कोई नहीं शिकायत, क्यूंकि तुमसे प्यार किया है ...


मैंने अपने प्रेम भाव का,
बस तुमसे अनुरोध किया है। 
न ही तुम पर जोर जुल्म और,
न कोई अवरोध किया है। 
हाँ तू अच्छी लगती है तो,
तुझसे गठबंधन का मन है,
इसीलिए इस रुंधे कंठ से,
नाम तेरा उद्बोध किया है। 

तू स्वामी है, अपने मन की, जो भी हो निर्णय कर लेना। 
मन बोले तो अपना लेना, या फिर दूरी तय कर लेना।  

मैंने तो बस नाम तुम्हारे, अपना ये संसार किया है। 
तुमसे कोई नहीं शिकायत, क्यूंकि तुमसे प्यार किया है...

तुमसे सब कुछ सत्य कहा है, 
झूठ बोलना मुझे न आता। 
हाँ ये सच है बिना तुम्हारे,
मेरे दिल को कुछ न भाता। 
"देव " तुम्हारे अपनेपन की,
लगती मुझको बहुत जरुरत,
तेरे बिन ये रात हैं सूनी,
धवल चाँद भी नहीं लुभाता। 

यदि प्रेम के योग्य लगूं तो, तुम मेरी दुनिया बन जाओ। 
सुबह, शाम, दिन, रात, हमेशा, मेरे जीवन को महकाओ। 

बस तेरी उम्मीद में मैंने, सात समुन्दर पार किया है। 
तुमसे कोई नहीं शिकायत, क्यूंकि तुमसे प्यार किया है। " 


......चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक- ०१.०५ .२०१७  
(मेरी यह रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )