Monday, 4 May 2020

♥ तुम्हारा नाम... ♥

♥♥♥ तुम्हारा नाम... ♥♥♥
वो कागज़ अब महज़ कागज़ नहीं है,
वो जिसपे नाम लिखा है तुम्हारा।
रखेंगे डायरी में ये समझकर,
कोई रिश्ता तो तुमसे है हमारा।

नहीं परवान चढ़ पायी मोहब्बत,
रखूं क्यों इसका भी अफ़सोस मैं अब,
नहीं था चाँद के शायद मैं काबिल,
क्या रख दूँ किसी पर दोष मैं अब ,

तुम्हें बस दूर से देखा करेंगे,
मेरे दिल की नदी का तुम किनारा।
वो कागज़ अब महज़ कागज़ नहीं है,
वो जिसपे नाम लिखा है तुम्हारा...

मोहब्बत में सदा पाने की हसरत,
तो फिर खोने का मतलब क्या रहेगा।
यदि ख्वाहिश रखूं हंसने की हर दम,
तो फिर रोने का मतलब क्या रहेगा।

तुम्हारे ख्वाब देखेंगी निगाहें,
उठेंगे सोचकर तुमने पुकारा।
वो कागज़ अब महज़ कागज़ नहीं है,
वो जिसपे नाम लिखा है तुम्हारा...

कविता में लिखेंगे "देव" तुमको,
ग़ज़ल में भी तुम्हारा अक्स होगा।
जो तुमको चाहता पाकीज़गी से,
वो कोई मुझ तरह का शख़्स होगा।

चमकना तुम यूँ चंदा की तरह,
मैं देखूंगा तुम्हें बनकर सितारा।
वो कागज़ अब महज़ कागज़ नहीं है,
वो जिसपे नाम लिखा है तुम्हारा। "

चेतन रामकिशन "देव "
दिनांक-05.05.2020


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 मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित। "