♥♥टूट गया दिल...♥♥
टूट गया दिल, या तो खुद ही,
या फिर दिल को तोड़ दिया है।
या फिर मुझको बुरे वक़्त ने,
तन्हा करके छोड़ दिया है।
मेरी आँखों के ख्वाबों को,
मार दिया खिलने से पहले,
इसीलिए सपनों के पथ पे,
मैंने चलना छोड़ दिया है।
जो कुछ भी हूँ, ठीक हूँ खुद में,
बुरा किसी का क्या मानूंगा।
तुम्हें परख कर, परख लिया जग,
और किसी को क्या जानूँगा।
मौन हो गया अंतर्मन से,
न ही आशा, नहीं निराशा,
दर्द से गहरी हुई दोस्ती,
नहीं खुशी को पहचानूँगा।
तेरी यादों का नाता अब,
गुजरे पल से जोड़ दिया है.
टूट गया दिल, या तो खुद ही,
या फिर दिल को तोड़ दिया है....
हलचल है, अब शोर बहुत है,
घाव भी अब रिसते रहते हैं।
फंदे दुश्मन की चालों के,
जीवन में कसते रहते हैं।
" देव" तरीका ये क्या जग का,
औरों पर इल्ज़ाम लगाना,
लोग यहां औरों के दुख पे,
आख़िर क्यों हंसते रहते हैं।
कभी लिखा था जो ख़त तुमको,
उस पन्ने को मोड़ दिया है।
टूट गया दिल, या तो खुद ही,
या फिर दिल को तोड़ दिया है। "
चेतन रामकिशन " देव"
दिनांक- 24. 08. 2020
( मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित)