Monday 22 August 2011

♥है तुम्हारी कमी...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥है तुम्हारी कमी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"धड़कने मंद हैं, आँखों में है नमी!
बुझ रहे हैं दिए , मिट रही रौशनी!
लौटकर फिर से आकाश आओ तुम,
जिंदगी कह रही, है तुम्हारी कमी!

घर में तुलसी का पौधा भी खामोश है!
थक गए हैं सुमन, अब नहीं जोश है!

अपने खेतों की भूमि भी बंजर भी बनी!
धड़कने मंद हैं, आँखों में है नमी.......


दूधवाला भी अब बोलता ही नहीं!
घर का माली भी, मुंह खोलता ही नहीं!
मौन हैं सब, तेरे बिन शरारत नहीं,
कांच खिड़की का, कोई तोड़ता नहीं!

मुन्ना भी भूख से, अब तो रोता नहीं!
तेरी तस्वीर के बिन, वो सोता नहीं!

तेरी तस्वीर उसकी जरुरत बनी!
धड़कने मंद हैं, आँखों में है नमी.......


अब खुदा से शिकायत भी कैसे करें!
अब किसी से मोहब्बत भी कैसे करें!
तेरी यादों ने ही साथ, हर पल दिया,
तेरी यादों से नफरत भी कैसे करें!

काश तू इतनी अच्छी न होती यदि!
न बुलाते खुदा, भूलकर भी कभी!

अच्छे लोगों की उसके यहाँ भी कमी!
धड़कने मंद हैं, आँखों में है नमी!"

"आज पीड़ा की इस दशा पर लिखना का मन हुआ! कोई घर की महिला जब असमय चली जाती है तो, बहुत ही ख़ामोशी पसर जाती है! बस यही चित्र खींचने की कोशिश की है!-चेतन रामकिशन "देव"

No comments: