♥♥♥♥♥♥♥♥चित्र( स्मृति का दर्पण)♥♥♥♥♥♥♥♥
बीते कल की, बीते पल की, याद दिलाते चित्र हमारे!
आँखों के सम्मुख आ जाते, भूले बिसरे सभी नजारे!
कभी आंख को आंसू देते, कभी खुशी के दीप जलाते!
कभी किसी बिछड़े अपने की, स्मृति को पास बुलाते!
मीलों की लम्बी दूरी को, चित्र मिटा देते एक पल में,
परदेसों में रहने वाले, अपनों को भी निकट दिखाते!
चित्र हमारे मन मंदिर में, बीते पल की छवि उभारे!
आँखों के सम्मुख आ जाते, भूले बिसरे सभी नजारे!"
" चित्र भी अनमोल होते हैं! जब भी देखो तो यादें उनके साथ सरपट दौड़ी चली आती हैं!
कभी आंखें नम होती हैं तो कभी खुश! अपने चित्र को देखकर ये पंक्तियाँ मन में आयीं तो
अंकित कर दी हमने! आप भी चित्रों को संजोकर रखियेगा!"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०८-०१-२०१२
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