Wednesday, 29 February 2012

♥♥यूपी में मतदान..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥यूपी में मतदान..♥♥♥♥♥♥♥
छ: चरणों का बीत चूका है यूपी में मतदान!
शेष चरण के लिए लगाई, हर नेता ने जान!

आज सांय के 5 वजे तक, होगा बस प्रचार!
नेता बाँट रहे जनता को, हाथ जोड़कर प्यार!
अपने दल को श्रेष्ठ बताकर देते हैं ये लोभ,
और दलों पर नेता करते, मन भरके प्रहार!

कहीं मुलायम करते देखो माया का अपमान!
छ: चरणों का बीत चूका है यूपी में मतदान.....

दमखम दिखता कांग्रेस में, माया भी तैयार!
और सपा ने भी ताने हैं,अपने सब हथियार!
भाजपा ने भगवा रंग का, खूब दिखाया झंडा,
और अजित नल से करते हैं, पानी की बौछार!

बीजेपी की निंदा करते, आज वही कल्याण!
छ: चरणों का बीत चूका है यूपी में मतदान.....

६ तारीख को मिल जाएगी, जीत किसी को हार!
किसी की नैय्या डूबेगी तो, किसी की होगी पार!
किसी के दर तो जीत खुशी की दीप जला डालेगी,
"देव" पराजय कहीं पे देगी, आँखों में जलधार!

जाने किसको शूल मिलेंगे, किसका होगा मान!
छ: चरणों का बीत चूका है यूपी में मतदान!"

"उत्तर प्रदेश में ६ चरणों का चुनाव बीत चूका है और अंतिम चरण का चुनाव ३ मार्च को होगा! बसपा जहाँ दुबारा वापसी का जोरदार संकेत दे रही है तो वहीँ कांग्रस और रालोद भी जुटे हुए हैं! भाजपा, सपा और अन्य दल भी अपने अपने दावे ठोंक रहे हैं! ६ तारीख में ज्ञात हो जायेगा कि किसकी विजय हुयी, फ़िलहाल तो अंतिम चरण में वोट डालने का अनुभव लेते हैं!"


चेतन रामकिशन "देव"
०१-०३-२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित!

Tuesday, 28 February 2012

♥आज का आदमी..♥


♥♥♥♥आज का आदमी..♥♥♥♥
आदमी क्यूँ बदलता जा रहा है!
भावना क्यूँ मसलता जा रहा है!

प्रेम से अब कोई मतलब नहीं है,
दिल को ऐसे कुचलता जा रहा है!

कौनसी हसरतें चाहता है जाने,
जाने किस ओर चलता जा रहा है!

देखकर और की खुशियाँ न जाने,
अपने-आपे में जलता जा रहा है!

"देव" अब खून के रिश्ते कहाँ हैं,
आदमी सबको छलता जा रहा है!"


" पता नहीं क्यूँ वक़्त बदला है या आदमी, पर आदमी अब आदमी जैसा दिखता तो है पर भीतर से इन्सानियत मरती जा रही है! तो आइये कोशिश करें के अपने भीतर के आदमी को जिन्दा रख सकें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२९.०२.२०१२

Sunday, 26 February 2012

♥मुफलिसी (दर्द का रिश्ता)♥


♥♥♥♥♥♥♥मुफलिसी (दर्द का रिश्ता)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
भूख प्यास का कफन लपेटे, मानो लाश के जैसा तन है!
गौर से देखो जरा इधर भी, मुफलिस का ऐसा जीवन है!

कोई तो चुनता कूड़ा रददी, एक वक़्त की रोटी खातिर,
कहीं किसी के हाथ में देखो, भीख मांगने का बर्तन है!

क्या नीति है मेरे मुल्क की, इतना अंतर करती है जो,
कोई तो तरसे पाई-२ को, किसी के हिस्से ढेरों धन है!

इनके दर्द की शिफा करे जो, देश में ऐसा नहीं सियासी,
छोटे से छोटा नेता भी, अब तो मुफलिस का दुश्मन है!

देख के इनके तंग हाल को "देव" निगाहें भर आती है,
मुफलिस के घर में तो देखो, साँझ सवेरे करुण रुदन है!"



"मुफलिसी में जीने वाले लोगों से ही पूछा जा सकता है कि, मुफलिसी का दर्द क्या होता है~ देश की नीतियां ऐसी हैं कि एक व्यक्ति पाई-पाई को तरसता है तो वहीँ एक व्यक्ति हजारों करोरों की सम्पत्ति का स्वामी होता है! राजनीति के सौदागर तो इनके जख्मों पर सिर्फ नमक छिड़कते हैं! इन मजलूमों को जागना होगा, इस घुटन से बचना है तो क्रांति तो लानी होगी!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२७.०२.२०१२

Friday, 24 February 2012

♥♥प्रेम की वर्षा..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की वर्षा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सखी तुम्हारा प्रेम हमारे मन को आकर्षित कर देता है!
अधरों पर मुस्कान सजाकर, जीवन हर्षित कर देता है!
प्रेम तुम्हारा हर संकट में, हमको बल करता है प्रेषित,
अपनी आँखों की निंदिया भी, हमें समर्पित कर देता है!"
.....................चेतन रामकिशन "देव"......................

Wednesday, 22 February 2012

♥♥♥टीस...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥टीस...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कोई नजदीक रहकर भी मेरी परवाह नहीं करता,
कोई पर दूर रहकर भी, मेरी खातिर दुआ करता!

मेरे अपनों ने तो मुझको हमेशा घाव ही बख्शे,
कोई पर गैर होकर भी, मेरे दुःख की दवा करता!

मेरे अपनों ने तो मेरी ख़ुशी को जमके लूटा था,
कोई पर गैर होकर भी, मुझे खुशियाँ फिदा करता!

रगों का खून मिलने भर से अपनापन नहीं आता,
आजकल खून का रिश्ता ही, ज्यादा दगा करता!

किसी पे जुल्म होने का तमाशा देखते हैं "देव",
यहाँ मजलूम के हक में, नहीं कोई निदा करता!"


"जिंदगी में ऐसे पल भी आते हैं जिसमे खूने के रिश्ते तक बदल जाते हैं~ जीवन भर साथ देने की बात करने वाले और वादा करने वाले बदल जाते हैं, तो दिल में एक तीस उठती है! कुछ शब्द जोड़ने का प्रयास किया है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---२२.०२.२०१२

Monday, 20 February 2012

♥♥♥♥♥माँ...♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम!
माँ की छवि बड़ी प्यारी है, माँ तो है अभिराम!

माँ का अर्थ बड़ा व्यापक है, माँ का ह्रदय विशाल!
माँ के आशीर्वाद से थमती, समस्याओं की चाल!
माँ की लोरी करती झंकृत, माँ देती मधुर दुलार,
माँ का ज्ञान हमारे साथ में, बनकर रहता ढाल!

माँ के मन में कभी न आते, दुरित भावना माम!
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम...

माँ के नाम भले कितने हों,  एक है जीवन दर्शन!
अम्मी हो या माँ हो मम्मी, सभी प्यार का दर्पण!
भले ही इस जीवन और जग में, ढेरों हों सम्बन्धी,
जीवन में पर विस्मृत न हो, अपनी माँ का अर्पण!

माँ की ममता के आगे न लगता कभी विराम!
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम!

सदा ही संतानों के हित में, माँ करती है त्याग!
सदा सुनाती है माँ हमको, प्यार का मीठा राग!
माँ का वंदन यदि नही तुम करते हो जीवन में,
व्यर्थ है पूजन करने जाना, हरिद्वार, प्रयाग!

माँ का वंदन किये बिना तो, निष्फल है हर काम!
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम!"


"माँ- प्रक्रति की सबसे अनमोल रचना! यूँ तो हर एक सम्बन्ध चाहें पिता हो, भाई हो, बहिन हो, मित्र हों, पति हो या पत्नी, अपनत्व तो देते ही हैं परन्तु माँ का अपनत्व इन सबसे बढ़कर है! ये सब हों और माँ न हो तो जीवन में ममता नहीं मिलती क्यूंकि ममता माँ के ही ह्रदय से ही उद्भव होती है, तो आइये माँ का सम्मान करें!"

 माँ की ममता को समर्पित रचना....

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---२१.०२.२०१२


Monday, 13 February 2012

♥आखिर ये विरोध क्यूँ?♥


♥♥♥♥♥♥♥♥आखिर ये विरोध क्यूँ?♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
युगल मात्र तक नहीं संकुचित, प्रेम का व्यापक अर्थ!
प्रेम तो करता है अभिनंदित, है बिना प्रेम सब व्यर्थ!

इसी दिवस को बड़े शोर से, पश्चिम की संतान बताते!
किन्तु अपनी संतानों को, पश्चिम के परिधान दिलाते!
फादर, टीचर, मदर डेस क्या,पश्चिम का उपहार नहीं हैं,
इसी दिवस को क्यूँ आखिर, लुटता, डिगता मान बताते!

प्रेम न नैतिकता से करता, कभी मानव को अपदस्थ!
युगल मात्र तक नहीं संकुचित, प्रेम का व्यापक अर्थ...

दोहरी सोच का धारण करके, वैलेंटाइन नहीं रुकेगा!
हम पश्चिम को चाहेंगे तो, कैसे अंकुर नहीं उगेगा!
पश्चिम के रंगों में देखो हम सब बढ़ चढ़कर रंगते हैं,
जब देंगे अंग्रेजी शिक्षा, तो कैसे ये पैगाम थमेगा!

हम सब हर्षित होकर रहते हैं, पश्चिम के अंतरस्थ!
युगल मात्र तक नहीं संकुचित, प्रेम का व्यापक अर्थ...

ये सच है एक दिवस में नहीं सिमटती प्रेम की धारा!
प्रेम तो व्यापक जीवन है, प्रेम रहित जीवन बेकारा!
वैलेंटाइन तभी रुकेगा, जब पश्चिम से मुख मोडेंगे,
दो नावों पे पग रखने से, न मिल पाए कभी किनारा!

"देव" हम सब ही करते हैं, इस पश्चिम को स्वस्थ!
युगल मात्र तक नहीं संकुचित, प्रेम का व्यापक अर्थ!"


"हम एक तरफ पश्चिम का आवरण अन्य सभी दिवसों को धूमधाम से मनाते हैं! पश्चिम की शिक्षा प्रणाली को हमने अपने बच्चों की जीवन धारा से जोड़ लिया है और हम दोहरी नीति के चलते वैलेंटाइन का विरोध करते हैं! आखिर क्यूँ, अपने आप से पूछिए, क्या ये उचित है? मेरे ख्याल से तो ये अनुचित है और तानाशाही है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--१४.०२.२०१२

Thursday, 9 February 2012

♥कलम का देवता...


♥♥♥♥♥♥♥♥कलम का देवता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम का देवता बनना, नहीं आसान है इतना,
कलम सच्चाई का जज्बा, कलम बलिदान चाहता है!

नहीं हिन्दू, नहीं मुस्लिम, न सिख न पारसी कोई,
कलम का देवता हर ओर बस इन्सान चाहता है!

नहीं ख्वाहिश के उसके घर बहे दौलत भरा झरना,
नहीं मखमल दलाली की, वो बस ईमान चाहता है!

नहीं थमता कलम उसका, नहीं अल्फाज का सौदा,
सितारों की तरह अल्फाज की पहचान चाहता है!

कलम का देवता बनने की ख्वाहिश वो नहीं रक्खे,
हुकूमत से कलम के नाम जो एहसान चाहता है!"


" कलम के साथ वफादारी करने वालों को, हुकूमत से किसी प्रलोभन की कोई आकांक्षा नहीं होती, वो भूखे पेट रह सकता पर बिक नहीं सकता! आज हिंदुस्तान की सरकार (सोशल साईट) अभिव्यक्ति पर पाबन्दी लगाने चाहती है, पर देश के बड़े बड़े दिखने वाले रचनाकार, लेखक आवाज नहीं उठाते, मेरे ख्याल से कलम का देवता सो गया है!"

....चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---१०-०२-२०१२

Wednesday, 8 February 2012

♥♥हिंदुस्तान..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥हिंदुस्तान..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हिंदुस्तान के जैसा जग में, नहीं दूसरा देश!
जग में सबसे सुन्दर-२, भारत का गणवेश!

आगंतुक का स्वागत होता माथे तिलक लगाकर!
उनका मन भी हर्षित होता, इस भूमि पर आकर!
भारत भूमि की संस्कृति,  लगती उनको प्यारी,
वो भी इसको अपनाते हैं, अपना शीश झुकाकर!

उनको अद्भुत लगता है, भारत का परिवेश!
हिंदुस्तान के जैसा जग में, नहीं दूसरा देश....

इस भूमि के पटल पे होता, कई धर्मों का पालन!
सब धर्मों का सार सिखाता, मानवता का धारण!
मंदिर मस्जिद हमे सिखाते, प्यार भरा सदभाव,
गुरुद्वाए और चर्च में होता, प्रेम भरा उच्चारण!

प्यार भरी तकरीरें होतीं, प्यार भरे उपदेश!
हिंदुस्तान के जैसा जग में, नहीं दूसरा देश.....

जन्म हमारा हुआ यहाँ पर, बड़े भाग्य की बात!
एक दूसरे के सुख-दुःख में,सभी का रहता साथ!
"देव" हमारे इस भारत की, शान सभी से प्यारी,
रामू हामिद साथ में फिरते, थाम के अपने हाथ!

न देखें हम किसी देश को, मन में भरके द्वेष!
हिंदुस्तान के जैसा जग में, नहीं दूसरा देश!"

"भले ही इस देश में नेताओं ने नफरत के अंकुर बोकर, भ्रष्टाचार के द्वारा देश को कितने भी पीछे धकेलने की कोशिश की हो, पर फिर भी भारत जैसे देश कोई दूसरा नहीं है!"

चेतन रामकिशन "देव"

Wednesday, 1 February 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम एक आवश्यकता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी!
प्रेम से महक उठे घर-आंगन, प्रेम में झूमे चाहरदीवारी!
प्रेम बिना फीकी पड़ जाती, हर रिश्ते की रंग-रंगोली,
प्रेम के रंग से खिल जाती है, हर रिश्ते की नातेदारी!

प्रेम बिना इन्सान तो केवल,पत्थर का टुकड़ा होता है!
मन भी रहता उदासीन और दुखी-दुखी मुखड़ा होता है!

प्रेम बिना तो हो जाती है, मीठे जल की झील भी खारी!
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी....

प्रेम बिना तो अपनायत की, होली निश जलती है!
प्रेम बिना माँ की ममता भी,हमको झूठी लगती है!
प्रेम बिना तो रस्म सी लगती, पूजा और इबादत,
प्रेम बिना मानव की बोली, तीरों जैसे चुभती है!

प्रेम रहित मानव तो बस, हिंसा के अंकुर बोता है!
नहीं जिंदगी जीता है वो, वो केवल जीवन ढोता है!

प्रेम रहित इन्सान तो केवल, होते कंटक के व्यापारी!
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी...

ए इंसानों चलो प्रेम को, मन में धारण करना सीखो!
एक दूजे के घावों को तुम,प्रेम भाव से भरना सीखो!
बिना प्रेम के"देव" हमारा ये जीवन निष्फल होता है,
प्रेम भाव से एक दूजे को,अपने वश में करना सीखो!

प्रेम करो अपने जीवन से, प्रेम करो अच्छे कर्मों से!
प्रेम करो अच्छी बातों से,प्रेम करो तुम सब धर्मों से!

प्रेम की ताक़त से ही देखो, इस दुनिया में हिंसा हारी!
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी!"


"प्रेम, इस छोटे से शब्द को अपने अंतर्मन में धारण करने मात्र से ये दुनिया अपनी लगने लगती है! इस संसार का हर व्यक्ति अपना लगने लगता है! प्रेम, समाज से जातिवाद, धर्मवाद, हिंसा, भेद-भाव, उंच-नीच मिटाने में सक्षम है, तो आइये प्रेम को धारण करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---०२.०२.२०१२