Monday 20 February 2012

♥♥♥♥♥माँ...♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम!
माँ की छवि बड़ी प्यारी है, माँ तो है अभिराम!

माँ का अर्थ बड़ा व्यापक है, माँ का ह्रदय विशाल!
माँ के आशीर्वाद से थमती, समस्याओं की चाल!
माँ की लोरी करती झंकृत, माँ देती मधुर दुलार,
माँ का ज्ञान हमारे साथ में, बनकर रहता ढाल!

माँ के मन में कभी न आते, दुरित भावना माम!
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम...

माँ के नाम भले कितने हों,  एक है जीवन दर्शन!
अम्मी हो या माँ हो मम्मी, सभी प्यार का दर्पण!
भले ही इस जीवन और जग में, ढेरों हों सम्बन्धी,
जीवन में पर विस्मृत न हो, अपनी माँ का अर्पण!

माँ की ममता के आगे न लगता कभी विराम!
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम!

सदा ही संतानों के हित में, माँ करती है त्याग!
सदा सुनाती है माँ हमको, प्यार का मीठा राग!
माँ का वंदन यदि नही तुम करते हो जीवन में,
व्यर्थ है पूजन करने जाना, हरिद्वार, प्रयाग!

माँ का वंदन किये बिना तो, निष्फल है हर काम!
अदभुत रचना प्रकृति की, माँ है जिसका नाम!"


"माँ- प्रक्रति की सबसे अनमोल रचना! यूँ तो हर एक सम्बन्ध चाहें पिता हो, भाई हो, बहिन हो, मित्र हों, पति हो या पत्नी, अपनत्व तो देते ही हैं परन्तु माँ का अपनत्व इन सबसे बढ़कर है! ये सब हों और माँ न हो तो जीवन में ममता नहीं मिलती क्यूंकि ममता माँ के ही ह्रदय से ही उद्भव होती है, तो आइये माँ का सम्मान करें!"

 माँ की ममता को समर्पित रचना....

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---२१.०२.२०१२


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