♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इंतज़ार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमदम मेरे मुझे तुम इतना इंतज़ार क्यूं करवाते हो !
दिन बीते यादो में तेरी, रात को तारे गिनवाते हो!
मेरी बेचैनी का तुम पर, कोई असर नहीं होता है,
और परेशां मुझे देखकर, तुम छुप-२ के मुस्काते हो!"
"
प्रेम का हिस्सा है इंतजार और शरारत! शरारत में जब हमदम छुपकर इंतजार की तड़प देखते हैं तो एक असीम प्रेम अनुभूति मिलती है और उससे ज्यादा आनंद तब आता है जब द्वितीय पक्ष रूठ जाता है और उसे मनाया जाता है! "
चेतन रामकिशन "देव"
2 comments:
बहुत सुंदर...
prem ko sabdo me byan karti behtreen panktiya....very nice dev sahab...
Post a Comment