Saturday, 7 April 2012

♥अधूरा सफर...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥अधूरा सफर...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सिमट गया है सफर इश्क का, वादे जनम-२ के टूटे!
दिल में दर्द की आई सुनामी और आँखों से आंसू फूटे!

जो मुझको खुशियाँ के लम्हे, देने में सबसे आगे था,
आज उसी ने आगे बढ़कर, मेरी खुशियों के पल लूटे!

तन्हा-तन्हा जाने कैसे, उम्र को अपनी काट सकूँगा,
मुझको पार लगाने वाले, लोग भी बीच सफर में छूटे!"
.................चेतन रामकिशन "देव"......................

1 comment:

S.N SHUKLA said...

बहुत सशक्त रचना, बधाई.