Tuesday 1 May 2012

♥♥♥♥♥♥प्यार का फीका रंग..♥♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥प्यार का फीका रंग..♥♥♥♥♥♥♥♥

प्यार का रंग भी फीका सा पड़ गया अब तो,
न ही जूही है, नहीं चंपा, न चमेली है!

मेरी खुशियों पे भी ताला सा पड़ गया अब तो,
जिंदगी जिंदगी नहीं है अब पहेली है!

आज उसने भी मुझे देखा है हैरत से यूँ,
जबकि वो साथ पढ़ी और साथ खेली है!

जिंदगी से मुझे हर लम्हा ही मिले आंसू,
ऐसा लगता है के बस मौत अब सहेली है!"

"
आज प्रेम के इस रूप को लिखने का मन हुआ,
प्रेम यदि हर्ष देता है तो पीड़ा भी!"

चेतन रामकिशन "देव"
 

No comments: