♥♥♥♥♥♥♥♥मन की चहल-पहल...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मन की चहल-पहल खोई है, खुशियों की दुनिया रोई है!
न जाने क्यूँ मेरी किस्मत, लम्बे अरसे से सोई है!
जो मेरे जीवन को अक्सर, अमृत से सिंचित करते थे,
आज उन्ही अपनों ने देखो, नफरत की क्यारी बोई है!
आज तो अपने ही, अपनों का, गले काटने पर आतुर हैं,
आज दिलों से ने जाने क्यूँ, अपनायत की शै खोई है!
मन की चहल-पहल खोई है, खुशियों की दुनिया रोई है!
न जाने क्यूँ मेरी किस्मत, लम्बे अरसे से सोई है!
जो मेरे जीवन को अक्सर, अमृत से सिंचित करते थे,
आज उन्ही अपनों ने देखो, नफरत की क्यारी बोई है!
आज तो अपने ही, अपनों का, गले काटने पर आतुर हैं,
आज दिलों से ने जाने क्यूँ, अपनायत की शै खोई है!
ऐसा करने वाले बिल्कुल, रोयेंगे और पछतायेंगे,
जिन लोगों ने मजलूमों के, खून से ये धरती धोई है!
"देव" देखिए एक दिन वो भी, मेरी चाहत को तरसेंगे,
आज वो जिनकी वजह से मेरी, रूहानी चाहत रोई है!"
.....,........चेतन रामकिशन "देव"...................."
जिन लोगों ने मजलूमों के, खून से ये धरती धोई है!
"देव" देखिए एक दिन वो भी, मेरी चाहत को तरसेंगे,
आज वो जिनकी वजह से मेरी, रूहानी चाहत रोई है!"
.....,........चेतन रामकिशन "देव"...................."
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