♥♥♥♥♥♥लक्ष्य..♥♥♥♥♥♥♥
अपनी आंखे रखो लक्ष्य पर,
लक्ष्य को धूमिल होने न दो!
आशा और साहस को अपने,
जीवन से तुम खोने न दो!
हार गए तो क्या घबराना,
क्यूँ आँखों से नीर बहाना!
नजर लक्ष्य से हटने न दो,
फिर से अपने कदम बढ़ाना!
अपने मन की आशाओं को,
हार के डर से सोने न दो!
अपनी आंखे रखो लक्ष्य पर,
लक्ष्य को धूमिल होने न दो!
नहीं गिराकर कभी किसी को,
तुम अपना स्थान बनाओ!
स्वच्छ भावना मन में लेकर,
तुम मेहनत के दीप जलाओ!
अपने कारण "देव" किसी की,
आँखों को तुम रोने न दो!
अपनी आंखे रखो लक्ष्य पर,
लक्ष्य को धूमिल होने न दो!"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२२.०९.२०१२
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
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