Thursday, 25 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी याद ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तन्हाई में जब मुझको तेरी याद आ गयी!
तो गम की घटा फिर से मेरे दिल पे छा गयी!

जब याद में मिलना था तो बेहद सुखद लगा,
जब आई जुदाई तो, वो मुझको सता गयी!

आया जो बुरा वक़्त तो अंजाम ये हुआ,
साहिल पे आती कश्ती भी मुझको डुबा गयी!

अब मेरी नजर चाँद पे रूकती ही नहीं है,
जब से ये गम की रात, मेरे दिल को भा गयी!

उसने तो "देव" मुझको गिराया था बहुत पर,
कुदरत मुझे हर बार ही जीना सिखा गयी!"

.............(चेतन रामकिशन "देव")...............







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