♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥नयी पीढ़ी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नयी पीढ़ी तो मानो इश्क की बीमार लगती है!
सलाह तालीम की उसको बड़ी बेकार लगती है!
यहाँ पर एक माँ देती दुआ लम्बी उम्र की तो,
कहीं माँ गर्भ में कन्या का भी संहार करती है!
तुम अपने चेहरे को झूठी हंसी में कैद कर लेना,
यहाँ सूरत भी दिल के हाल का इजहार करती है!
खुदा भी इन गरीबों से नजर शायद फिर बैठा,
तभी कुदरत गरीबों पे ही ज्यादा मार करती है!
मुझे जब याद आती "देव" उन खोये बुर्जुर्गों की,
नजर ये चाँद का घंटों तलक दीदार करती है!"
...........(चेतन रामकिशन "देव").................
1 comment:
true dev...spare few moments
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