Tuesday, 23 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मन का रावण.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हम सबके मन में रावण है, पहले उस रावण को मारो!
अपना मुख दर्पण में देखो, तुम अपने मन को धिक्कारो!

जिस दिन हम सबके मन से, रावण का विष मर जायेगा!
उस दिन देखो कलयुग में भी, राम राज का सुर गायेगा!
एक दूजे से प्यार बढेगा, मानवता भी सुखमय होगी,
हिंसा, नफरत, भेद भाव से, अपना जीवन तर जायेगा!

औरों को तब इंगित करना, पहले खुद की सोच सुधारो!
हम सबके मन में रावण है, पहले उस रावण को मारो!"

...................(चेतन रामकिशन "देव")......................

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