Tuesday, 9 October 2012


♥♥♥♥♥♥दर्द का आसमान..♥♥♥♥♥♥♥
दर्द का आसमान, जिंदगी पे छाने लगा!
उसकी यादों का असर, आज फिर सताने लगा!

जो कल तलक मेरा हमदर्द, मेरा अपना था,
आज वो शख्स ही, मुझसे नजर चुराने लगा!

आज कल रिश्तों का कैसा, हश्र हुआ देखो,
भाई अपने ही भाई का, लहू बहाने लगा!

जिसको ताक़त यहाँ मिल जाती है, धन दौलत की,
वही इन्सान गरीबों पे, कहर ढ़ाने लगा!

"देव" अब देखिये हालात कैसे आये हैं,
आईना भी मेरी सूरत को, अब भुलाने लगा!"

............चेतन रामकिशन "देव".................

1 comment:

Madan Mohan Saxena said...

रूठे हुए शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.