♥♥♥♥♥♥♥दर्द की मुस्कान..♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं जब से अपने आप को समझाने लगा हूँ!
उस दिन से दर्द में भी मुस्कुराने लगा हूँ!
दुनिया में हर कोई नहीं हमदर्द है यारों,
ये सोचकर के सबसे गम छुपाने लगा हूँ!
क्या हो गया जो आज मुझे हार मिली है,
कल जीतने के ख्वाब फिर सजाने लगा हूँ!
दुनिया में मोहब्बत से बड़ी कोई शै नहीं,
मैं सबको मोहब्बत का गुर सिखाने लगा हूँ!
ए "देव" मुझे अपनी भी कमियों का पता है,
मैं अपनी नजर खुद से ही मिलाने लगा हूँ!
........... (चेतन रामकिशन "देव") .........
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