Wednesday, 26 December 2012

♥दिवाकर.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिवाकर.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न बनना पर्याय तिमिर का, न ही कभी निशाचर बनना!
जो दुनिया को उज्जवल कर दे, ऐसे सदा दिवाकर बनना!

दुःख की वर्षा और अश्रु को, जो अपने में मिश्रित कर ले,
तुम अपनी इच्छा शक्ति से, गहरे जल के सागर बनना! 

जब मृत्यु आएगी उसको, नहीं रोक सकते हो किन्तु,
इस जीवन का जीते जी पर, तुम न कभी अनादर बनना!

काम करो कुछ ऐसा जिससे, जन मानस भी तुम्हे सराहे,
सच की हत्या करके न तुम, झूठ का कोई समादर बनना!

घनी अमावस की रातों की, धुंध छांटकर जो आ जाये,
"देव" यहाँ इस दुनिया में तुम, ऐसे धवल सुधाकर बनना!"

......................चेतन रामकिशन "देव"............................
दिनांक-२७.१२.२०१२

1 comment:

Madan Mohan Saxena said...

वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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