Thursday, 6 December 2012

♥इक ख्वाब नया..♥


♥♥♥♥♥♥♥इक ख्वाब नया..♥♥♥♥♥♥
दर्द को क्यूँ भला कमजोरी बनाया जाये!
अपनी हिम्मत से चलो दर्द मिटाया जाये!

क्या हुआ जो ये मेरा ख्वाब टूटकर बिखरा,
चलो इक ख्वाब नया फिर से सजाया जाये!

आज के नेता तो रहते इसी फिराक में बस,
कौन से मुद्दे पे जनता को लुभाया जाये!

कब कहाँ मिलता है नफरत से ज़माने में कुछ,
आओ इक दीप मोहब्बत का जलाया जाये!

"देव" जिन लोगों ने बख्शी हमे आज़ादी है,
उनके सजदे में चलो सर को झुकाया जाये!"

.............चेतन रामकिशन "देव"...............






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