Thursday, 17 January 2013

♥♥विरह ...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥विरह ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गम की बूंदें हैं पलकों पर, अधरों पर पीड़ा की बातें!
बेचैनी में गुजर रही हैं, तुम बिन ये विरह की रातें!

नींद नहीं आती आँखों को, मैंने पूरी कोशिश की है!
हर लम्हा ही मेरे दिल ने, बस तेरी ही ख्वाहिश की है!
हमदम तेरी बोली के बिन, मेरे दिल को चैन न आए,
मेरे दिल ने बस तेरी ही, सूरत की फरमाइश की है!

बिन तेरे पतझड़ लगती हैं, मुझको सावन की बरसातें!
गम की बूंदें हैं पलकों पर, अधरों पर पीड़ा की बातें!"

..................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक-१७.०१.२०१३

No comments: