♥♥♥♥♥♥♥जीवन का जुआ..♥♥♥♥♥♥♥
है हार कभी जीत, ये जीवन तो जुआ है!
हर रोज जिंदगी में, नया खेल हुआ है!
पर फिर भी मुझे, जिंदगी से डर नहीं लगता,
मेरे साथ में हर दम ही, मेरी माँ की दुआ है!
लोगों को अब तो भाने लगी, मेरी लिखावट,
तेरे प्यार ने जबसे मेरे, लफ्जों को छुआ है!
दिल से मेरे ज़ख्मों के, निशां जाते नहीं हैं,
हमला मेरे दिल पे यहाँ, अपनों का हुआ है!
मैं खुद से नजर, "देव" मिलाता हूँ बेहिचक,
मेहनत से अपनी मैंने, ये आकाश छुआ है!"
..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-१७.०२.२०१३
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