Tuesday, 19 February 2013

♥ईमान...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥ईमान...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खुद से नजर मिलाना भी, आसान न रहा!
जिन लोगों का जिन्दा यहां, इमान न रहा!

मिलते हैं मुझे यूँ तो, बहुत आदमी लेकिन,
इस दुनिया में शायद कोई, इंसान न रहा!

मुजरिम को रिहाई यहां, पीड़ित को सजा है,
लगता है के भगवान भी, भगवान न रहा!

जो पालते हैं उनको ही, मिलती हैं ठोकरें,
माँ बाप का अब इतना भी, अहसान न रहा!

रोता है आज "देव", ये भारत भी देखकर,
आजाद, भगत सा कोई, कुरबान न रहा!"

...........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-२०.०२.२०१३