♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सौहार्द का संसार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ईद और लोहड़ी हों सब के, और दीवाली भी सबकी हो!
एक दूजे से प्रेम करें सब, और खुशहाली भी सबकी हो!
ध्वस्त हों मजहब की दीवारें, मानवता सबकी प्यारी हो!
नफरत के कांटे हट जायें, महकी महकी फुलवारी हो!
एक ऐसा संसार बने बस, जिसमें मानव ही मानव हों,
रहे सदा नारी की गरिमा, न कोई मारा-मारी हो!
रंग बिरंगे मौसम सब के, नभ की लाली भी सबकी हो!
ईद और लोहड़ी हों सब के, और दीवाली भी सबकी हो...
हिंसा के हथियार नहीं हो, सोच हो सबकी फूलों जैसी!
बस पींगे हो मेलजोल की, सावन के झूलों के जैसी!
"देव" रहें सब समरसता में, हमदर्दी सबको सबसे हो,
द्वेष रहे न मन में कोई, सोच न हो शूलों के जैसी!
भूख से कोई जन न तड़पे, भोजन की थाली सबकी हो!
ईद और लोहड़ी हों सब के, और दीवाली भी सबकी हो!"
..................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१२.०३.२०१३
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