♥♥♥हक की आवाज..♥♥♥
रुधिर शीत जब हो जाता है!
मन का साहस खो जाता है!
नाम मौत का सुनकर देखो,
जिनका चेहरा रो जाता है!
ऐसे कहाँ लोग दुनिया में,
अपने हक की जंग लड़ेंगे,
लड़ने से पहले ही जिनके,
मन का संबल सो जाता है!
ये कमजोरी रहेगी जब तक,
हम उद्घोष नहीं कर सकते!
सरकारों के दमन के आगे,
किंचित रोष नहीं कर सकते!
कभी यहाँ निर्धन का शोषण,
कभी किसानों की शामत हो,
पर हम गहरी नींद त्यागकर,
खुद का होश नहीं कर सकते!
वो क्या जंग लड़ेगा डरकर,
जो भूमिगत हो जाता है!
लड़ने से पहले ही जिनके,
मन का संबल सो जाता है...
कमजोरों की सुनवाई को,
आलम बेशक कम होता है!
कोई न समझे उनके दुख को,
भले ही कितना गम होता है!
"देव" मगर हथियार से ज्यादा,
हमें जरुरत है साहस की,
क्यूंकि वो ही लड़ सकता है,
जिसके दिल में दम होता है!
वो ही दुश्मन का घर फूंके,
जो लावे सा हो जाता है!
लड़ने से पहले ही जिनके,
मन का संबल सो जाता है!"
..चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-०६.०५.२०१३
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