Monday 24 June 2013

♥♥सच्चाई की राह...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥सच्चाई की राह...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सच्चाई की राह पे चलकर,  मैंने बस इतना पाया है!
गैरों की तो बात छोड़िये, अपनों ने भी ठुकराया है!
जो मेरी आँखों में अक्सर, सपनों के अंकुर बोता था,
आज उसी ने देखो मेरा, एक एक सपना बिखराया है!

हाँ ये सच है सच के कारण, अपनों की दूरी सहता हूँ!
माँ ने सच का पाठ पढाया, इसीलिए पर सच कहता हूँ!

तेजाबी बारिश करता है, गगन में जो बादल छाया है!
सच्चाई की राह पे चलकर,  मैंने बस इतना पाया है..

कुछ लम्हों को लहर झूठ की, भले खुशी से भर सकती है!
लेकिन इस दुनिया से देखो, नहीं हकीक़त मर सकती हो!
"देव" दिलों में सच की ताकत, सूरज बनकर करे उजाला,
लेकिन दिल में झूठ की रौनक, नहीं उजाला कर सकती है!

कागज के सुन्दर फूलों से, जीवन नहीं खिला सकते हैं!
झूठ बोलने बाले खुद से, नजरें नहीं मिला सकते हैं!

अल्प समय के बाद ही जग में, झूठ का पौधा मुरझाया है!
सच्चाई की राह पे चलकर,  मैंने बस इतना पाया है!"

...............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२४.०६.२०१३





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