♥♥♥♥♥♥♥उम्मीदों की स्याही...♥♥♥♥♥♥♥♥
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं!
के अपने दर्द से देखो, बगावत कर रहा हूँ मैं!
है दिल में दर्द पर, लेकिन हंसी ये छूट न जाये!
यही कोशिश है मेरी दिल, किसी का टूट न जाये!
कमी करते हैं अपने पर, मैं अपने सर झुकाता हूँ,
यही कोशिश है मेरी, कोई अपना रूठ न जाये!
गमों के फूल से, दिल की सजावट कर रहा हूँ मैं!
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं….
मुखोटा जड़ के चेहरों पे, यहाँ पर लोग मिलते हैं!
लुटेरों के यहाँ देखो, गुलाबी फूल खिलते हैं!
यहाँ पर "देव" ऐसे लोग, अब नजरों से ओझल हैं,
भुलाकर दर्द जो अपना, किसी के घाव सिलते हैं!
कभी हालात बदलेंगे, ये चाहत कर रहा हूँ मैं!
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं!"
...............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१९.०८.२०१३
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