Thursday, 22 August 2013

♥♥तारों की गिनती...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥तारों की गिनती...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ख्वाब तुम्हारे बुन लेता हूँ, दिल की धड़कन सुन लेता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ!

अब तेरी तस्वीरों से भी, बात-चीत की आदत डाली!
सखी ईद का चाँद तुम्ही हो, तुम ही हो होली दिवाली!
तुम्हे देखकर मेरा चेहरा, खिल जाये फूलों के जैसा,
सात रंगों की रंगोली तुम, तुम फूलों की नाजुक डाली!

रूह सोंप दी तुमको मैंने, तुमको अपना मन देता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ.

तेरी पायल की रुनझुन से, मैंने ये संगीत बनाया!
तुम्हे देखके गजलें लिखीं, तुम्हे देखकर गीत बनाया!
"देव" तुम्हारे अपनेपन से, प्रेरक क्षमता में वृद्धी है,
खुशियाँ आईं हैं आँगन में, जब से तुमको मीत बनाया!

सखी तुम्हारी सीख से मैं अब, सही गलत को चुन लेता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ!"

...................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-२२.०८.२०१३

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