♥♥♥♥♥♥♥हंसने का हुनर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गम में हंसने का हुनर, मेरे दिल ने पाया है!
दर्द ने मुझको भले, रोज ही सताया है!
आदमी आदमी का दर्द, समझता ही नहीं,
आदमी है या खुदा, तूने बुत बनाया है!
अपनी आँखों में जिसके ख्वाब, वसाये मैंने,
उसने शीशे की तरह, ख्वाब हर गिराया है!
ज़ख्म भी बख्शे मगर, उसको दुआ देता हूँ,
मेरे माँ बाप ने मुझको, यही सिखाया है!
"देव" है खुद पे यकीं, मंजिलों का पाने का,
आज बेशक ही महल, रेत का बनाया है!"
...........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०२.०९.२०१३
गम में हंसने का हुनर, मेरे दिल ने पाया है!
दर्द ने मुझको भले, रोज ही सताया है!
आदमी आदमी का दर्द, समझता ही नहीं,
आदमी है या खुदा, तूने बुत बनाया है!
अपनी आँखों में जिसके ख्वाब, वसाये मैंने,
उसने शीशे की तरह, ख्वाब हर गिराया है!
ज़ख्म भी बख्शे मगर, उसको दुआ देता हूँ,
मेरे माँ बाप ने मुझको, यही सिखाया है!
"देव" है खुद पे यकीं, मंजिलों का पाने का,
आज बेशक ही महल, रेत का बनाया है!"
...........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०२.०९.२०१३
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