Monday, 30 September 2013

♥♥♥बड़ी मुश्किल से...♥♥♥♥

♥♥♥बड़ी मुश्किल से...♥♥♥♥
बड़ी मुश्किल से सांस आती है!
जिंदगी इस कदर सताती है!

जाने सूरज को क्या शिकायत है,
रौशनी घर से लौट जाती है!

आसमां में सितारे देखूं तो,
बिछड़े लोगों की याद आती है!

तेरे खत आज तक संभाले हैं,
उनकी खुशबू हमें लुभाती है!

तेरी तस्वीर से करूँ बातें,
आज कल नींद नहीं आती है!

दर्द के गहरे इस अँधेरे में,
न ही दीया है, नहीं बाती है!

"देव" अपनों के ये बड़ी दुनिया,
देखो अपनों का घर जलाती है!"

……चेतन रामकिशन "देव"…।
दिनांक-३०.०९.२०१३

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