Friday 6 September 2013

♥♥♥♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दिल में हो दुख भले, चेहरे पे हंसी रख लेना,
कोई सुनता ही नहीं, दुख यहाँ ज़माने में,

बड़ी मुश्किल से यहाँ मिलती, जिंदगी देखो,
एक पल लगता है पर, जिंदगी गंवाने में!

नहीं मालूम है उसने, मुझे छोड़ा कैसे,
उम्र बीती मेरी जिस शख्स को, भुलाने में!

कैसे मुफ़लिस को बीमारी से, मिले छुटकारा,
दवा मिलती नहीं अश्कों से, दवाखाने में!

मेरे एहसास को आखिर वो समझता कैसे,
मेरे रिश्ते को लगा रस्म, जो बनाने में!

देखो उन लोगों के दिल भी, बड़े छोटे निकले,
नोट छपते हैं यहाँ, जिनके कारखाने में!

"देव" बेरंग जिंदगी है, मगर जीता हूँ,
अपनी तन्हाई के संग गुम हूँ, मुस्कुराने में!"

.............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-०७.०९.२०१३

No comments: