♥♥♥♥♥लिख रहा हूँ ग़ज़ल....♥♥♥♥♥♥♥
लिख रहा हूँ ग़ज़ल, फिर तेरी नाम की मैं,
के तुझ बिन तो दिल का गुजारा नहीं है!
के होने को तो सारी, दुनिया है लेकिन,
मगर बिन तुम्हारे सहारा नहीं है!
तेरी याद में धोया, अश्कों से चेहरा,
इसे धूप मलकर निखारा नहीं है!
प्यार देखो के चखकर, शहद की तरह है,
ये देखो समुन्दर सा, खारा नहीं है!
मैं तुझसे नजर से, के चुराऊं भी कैसे,
के तू चाँद है, कोई तारा नहीं है!
बिन तेरे देखो उतरा है, ये मेरा चेहरा,
के मुझको किसी दुख ने मारा नहीं है!
"देव" आ जाओ तुम, अब सुनो दर्द मेरा,
यूँ दिल से किसी को, पुकारा नहीं है!"
….....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-०४.१०.२०१३
लिख रहा हूँ ग़ज़ल, फिर तेरी नाम की मैं,
के तुझ बिन तो दिल का गुजारा नहीं है!
के होने को तो सारी, दुनिया है लेकिन,
मगर बिन तुम्हारे सहारा नहीं है!
तेरी याद में धोया, अश्कों से चेहरा,
इसे धूप मलकर निखारा नहीं है!
प्यार देखो के चखकर, शहद की तरह है,
ये देखो समुन्दर सा, खारा नहीं है!
मैं तुझसे नजर से, के चुराऊं भी कैसे,
के तू चाँद है, कोई तारा नहीं है!
बिन तेरे देखो उतरा है, ये मेरा चेहरा,
के मुझको किसी दुख ने मारा नहीं है!
"देव" आ जाओ तुम, अब सुनो दर्द मेरा,
यूँ दिल से किसी को, पुकारा नहीं है!"
….....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-०४.१०.२०१३
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