Sunday, 13 October 2013

♥♥आसमां की प्यास ..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥आसमां की प्यास ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो धीरे धीरे यूँ चलते रहो तुम, ठहरने से मंजिल नहीं पास होती!
के होती ही जिनकी दिलों में निराशा, उन्हें जिंदगी से नहीं आस होती!
वो कैसे रहेंगे यहाँ एक होकर, के जिनको मोहब्बत नहीं ख़ास होती,
जो बैठे हैं हाथों में बस हाथ लेकर, उन्हें खुद की मेहनत नहीं रास होती!

जो इतिहास जग में बनाने की खातिर, चले हैं सफर चाहें कांटो भरा हो!
वो सी लेते हैं घाव हाथों से अपने, भले घाव देखो के कितना हरा हो!
सुनो "देव" वो क्या करेंगे मोहब्बत, ख्यालों में  जिनके जहर एक भरा हो,
नहीं फर्क तन के रंगों से पड़ेगा, वो दिल जिनके सीने में देखो खरा हो!

वो होकर के पर भी नहीं उड़ सकेंगे, जिन्हें आसमां की नहीं प्यास होती!
चलो धीरे धीरे यूँ चलते रहो तुम, ठहरने से मंजिल नहीं पास होती!"

.........................चेतन रामकिशन "देव".....................................
दिनांक-१३.१०.२०१३

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