Monday, 7 October 2013

♥♥चन्दन का अधिवास....♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥चन्दन का अधिवास....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम्ही आंसू में हो, तुम्ही मेरी हंसी, तुम्ही सावन, तुम्ही तो मधुमास हो! 
तुम्ही उम्मीद में, आरजू में तुम्ही, तुम्ही इच्छाओं में, तुम्ही विश्वास हो!
चांदनी में तुम्ही, ज्योत में भी तुम्ही, तुम्ही हो लालिमा, तुम्ही प्रकाश हो!
तुमसे मीलों का है फासला ये मगर, मेरे दिल के सखी तुम सदा पास हो!

गीत की भावना में झलक है तेरी, मेरी आँखों में देखो चमक है तेरी!
मेरे लफ्जों में देखो तुम्हारी दमक, मेरे कानों में हर पल खनक है तेरी!

तुम्ही बारिश में हो, तुम्ही बादल में हो, सात रंगों का झिलमिल सा आकाश हो!
तुम्ही आंसू में हो, तुम्ही मेरी हंसी, तुम्ही सावन, तुम्ही तो मधुमास हो……

न ही सीमा कोई, न ही हैं बंदिशें, प्यार की भावना तो ये आज़ाद है!
नफरतों से यहाँ देखो गुल न खिलें, प्यार से बागवां देखो आबाद है!
"देव" रजनी तुम्ही, तुम्ही प्रभात हो, तुम्ही हो नम्रता, तुम्ही फरियाद हो!
कर्म की व्यस्तता में भी विस्मृत नहीं, हर घड़ी मेरे दिल को तुम्ही याद हो!

तुम बदलकर के पथ अपना जाओ मगर, दिल की आवाज लेकिन नहीं मारना!
तुम भले ही गगन में न उड़ना मगर, अपनी परवाज़ लेकिन नहीं मारना!

तुम्ही हो वंदना, तुम्ही आराधना, तुम्ही चन्दन का मिश्रित अधिवास हो!
तुम्ही आंसू में हो, तुम्ही मेरी हंसी, तुम्ही सावन, तुम्ही तो मधुमास हो!"

….......................चेतन रामकिशन "देव"………........................
दिनांक-०७.१०.२०१३

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