♥♥♥♥♥♥♥निर्धन की आतिशबाजी..♥♥♥♥♥♥♥♥
धन की वर्षा होती है पर, निर्धन के आँगन से बाहर,
निर्धन के आंगन में हर दिन, पीड़ा के अंकुर उगते हैं!
खून पसीने की मेहनत से, जो खेतों में अन्न उगाता,
उस कृषक के नंगे तन पे, सर्दी के कांटे चुभते हैं!
आज सवेरे नजर पड़ी जब, मेरी सड़कों, फुटपाथों पर,
बिना फुंकी आतिशबाजी को, निर्धन के बच्चे चुनते हैं!
चाहें कोई सियासी हो या दफ्तर का कोई ऊँचा अफसर,
इन लोगों के कान भला कब, निर्धन की पीड़ा सुनते हैं!
"देव" भला वो क्या देखेंगे, निर्धन के दामन के कांटे,
जिन लोगों ने बचपन से ही, अय्याशी के सुख भुगते हैं!"
................…चेतन रामकिशन "देव"…..................
दिनांक-01.11.2013
धन की वर्षा होती है पर, निर्धन के आँगन से बाहर,
निर्धन के आंगन में हर दिन, पीड़ा के अंकुर उगते हैं!
खून पसीने की मेहनत से, जो खेतों में अन्न उगाता,
उस कृषक के नंगे तन पे, सर्दी के कांटे चुभते हैं!
आज सवेरे नजर पड़ी जब, मेरी सड़कों, फुटपाथों पर,
बिना फुंकी आतिशबाजी को, निर्धन के बच्चे चुनते हैं!
चाहें कोई सियासी हो या दफ्तर का कोई ऊँचा अफसर,
इन लोगों के कान भला कब, निर्धन की पीड़ा सुनते हैं!
"देव" भला वो क्या देखेंगे, निर्धन के दामन के कांटे,
जिन लोगों ने बचपन से ही, अय्याशी के सुख भुगते हैं!"
................…चेतन रामकिशन "देव"…..................
दिनांक-01.11.2013
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