Saturday, 21 December 2013

♥ टूटा पत्ता...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥ टूटा पत्ता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एक करीबी से मेरा, आज यूँ रिश्ता टूटा!
पेड़ की शाख़ से जैसे कोई पत्ता टूटा!

जिसको चाहा था यहाँ मैंने रूह से अपनी,
उसी इंसां की नजर में है, मेरा दिल झूठा!

सोंधी मिट्टी से उसे, फिर से शक्ल देकर भी,
मेरी किस्मत का घड़ा, आज तलक है फूटा!

आज मैंने भी रखे, अपने कदम मंजिल पर,
जिंदगी का ये सफ़र, मुझसे जो पीछे छूटा!

कोशिशें करके भी न, सी सका ज़ख्म अपने,
आज अपना ही हुनर देखो है, मुझसे रूठा!

मिन्नतें कितनी करो, कोई समझता ही नहीं,
चाहें मुफलिस का यहाँ, भूख से जीवन छूटा!

"देव" ये प्यार अगर, जुर्म है तो बतलाओ,
 कौन है वो जो बिना प्यार के खाली छूटा!"

...........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२२.१२.२०१३

1 comment:

Unknown said...

sunder manbhawan.....