Friday, 17 January 2014

♥♥बरसात का शोर...♥♥

♥♥♥♥♥बरसात का शोर...♥♥♥♥♥♥♥
प्यार तेरा मुझे बूंदो में नजर आता है!
मुझे बरसात का ये शोर बहुत भाता है!

जब भी पलकों में अपनी बूंद छुपाई मैंने,
तेरी जुल्फ़ों का बदन देखो भीग जाता है!

तेरे एहसास में डूबी हुयी बारिश पाकर,
मेरा हर दिन यहाँ अच्छे से गुजर जाता है!

जब झरोखे से गिरी बूंद तुझे छूती हैं,
तेरे चेहरे का कमल और निखर जाता है!

मैं हथेली पे तेरी जब भी रखूं बूंदों को,
गौर से देख मेरा नाम उभर आता है!

भीगी जुल्फ़ों में मेरे घर में जो देखूं तुमको,
चाँद आंगन में मेरे घर के उतर आता है!

"देव" चेहरे पे मेरे ताजगी बिखर जाये,
जब भी बरसात का लफ्ज़ों में जिकर आता है! "

.............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-१७.०१.२०१४

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