♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ की छुअन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!
हर संतान की खातिर माँ के, मन मेँ एक जैसी समता है!
नहीं जानती है माँ छल को, नहीं फरेबी माँ की बातें,
माँ के मन में सहनशीलता की, देखो व्यापक क्षमता है!
माँ अपने बच्चों के हित में, अपना सुख भी त्यागा करती!
और बच्चों की नींद की ख़ातिर, रात रात भर जागा करती!
बच्चों को नाखुश देखे तो, खून यहाँ माँ का जमता है!
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!
गंगाजल सा पावन मन है, न क़ोई ईर्ष्या होती है!
माँ के आँचल में हर लम्हा, प्यार, वफ़ा, ममता होती है!
वो जो अपने हित की खातिर, गला घोट देती ममता का,
ऐसी औरत कभी रूह से, नहीं जरा भी माँ होती है!
माँ केवल सम्बन्ध नहीं है, और माँ केवल नाम नहीं है!
माँ की कीमत नहीं है कोई, और ममता का दाम नहीं है!
बच्चों के घर न आने तक, माँ का तो जीवन थमता है!
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!
माँ सिखलाती कलम चलाना, माँ सिखलाती पैदल चलना!
माँ की हिम्मत में शामिल है, तिमिर में दीपक जैसे जलना!
"देव " जहाँ में रिश्ते नाते, माँ से बढ़कर हो नहीं सकते,
इसीलिए तुम एक पल को भी, माँ से नजरेँ नहीं बदलना!
जीवन का अाधार है माँ से, माँ के बिन दुनिया खाली है!
माँ बच्चों को खुश्बू देती, माँ तो फ़ूलों की डाली है!
दुआ हजारों दे बच्चोँ को, प्यार नहीं माँ का थकता है !
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!"
................चेतन रामकिशन "देव"………………
दिनांक-११.०५.२०१४
( मेरी ये रचना दोनों माताओं माँ कमला देवी एवं प्रेमलता जी को समर्पित
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!
हर संतान की खातिर माँ के, मन मेँ एक जैसी समता है!
नहीं जानती है माँ छल को, नहीं फरेबी माँ की बातें,
माँ के मन में सहनशीलता की, देखो व्यापक क्षमता है!
माँ अपने बच्चों के हित में, अपना सुख भी त्यागा करती!
और बच्चों की नींद की ख़ातिर, रात रात भर जागा करती!
बच्चों को नाखुश देखे तो, खून यहाँ माँ का जमता है!
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!
गंगाजल सा पावन मन है, न क़ोई ईर्ष्या होती है!
माँ के आँचल में हर लम्हा, प्यार, वफ़ा, ममता होती है!
वो जो अपने हित की खातिर, गला घोट देती ममता का,
ऐसी औरत कभी रूह से, नहीं जरा भी माँ होती है!
माँ केवल सम्बन्ध नहीं है, और माँ केवल नाम नहीं है!
माँ की कीमत नहीं है कोई, और ममता का दाम नहीं है!
बच्चों के घर न आने तक, माँ का तो जीवन थमता है!
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!
माँ सिखलाती कलम चलाना, माँ सिखलाती पैदल चलना!
माँ की हिम्मत में शामिल है, तिमिर में दीपक जैसे जलना!
"देव " जहाँ में रिश्ते नाते, माँ से बढ़कर हो नहीं सकते,
इसीलिए तुम एक पल को भी, माँ से नजरेँ नहीं बदलना!
जीवन का अाधार है माँ से, माँ के बिन दुनिया खाली है!
माँ बच्चों को खुश्बू देती, माँ तो फ़ूलों की डाली है!
दुआ हजारों दे बच्चोँ को, प्यार नहीं माँ का थकता है !
छुअन है माँ की कोमल कोमल, अमृत के जैसी ममता है!"
................चेतन रामकिशन "देव"………………
दिनांक-११.०५.२०१४
( मेरी ये रचना दोनों माताओं माँ कमला देवी एवं प्रेमलता जी को समर्पित
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