♥♥♥♥अक्स तुम्हारा..♥♥♥♥
तुम बिन चैन नहीं आता है!
तुमसे ये कैसा नाता है!
जिधर भी देखूं नज़र उठाकर,
अक्स तुम्हारा दिख जाता है!
तुम्हें देखकर मन खुश होता,
तुम्हे सोचकर दिल हँसता है,
देख तुम्हारी सूरत लगता,
मानों तुम में रब वसता है!
इन्द्रधनुष भी तेरे नाम को,
मेरे संग में लिख जाता है!
जिधर भी देखूं नज़र उठाकर,
अक्स तुम्हारा दिख जाता है...
तुमने नज़रें फेरीं जबसे,
गुमसुम खोया सा रहता हूँ,
बाहर से बेशक हँसता पर,
भीतर से रोया रहता हूँ!
तुम बिना दवा असर नहीं करती,
दिल गहरे से दुख जाता है!
जिधर भी देखूं नज़र उठाकर,
अक्स तुम्हारा दिख जाता है! "
.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक- २४.०५.२०१४
तुम बिन चैन नहीं आता है!
तुमसे ये कैसा नाता है!
जिधर भी देखूं नज़र उठाकर,
अक्स तुम्हारा दिख जाता है!
तुम्हें देखकर मन खुश होता,
तुम्हे सोचकर दिल हँसता है,
देख तुम्हारी सूरत लगता,
मानों तुम में रब वसता है!
इन्द्रधनुष भी तेरे नाम को,
मेरे संग में लिख जाता है!
जिधर भी देखूं नज़र उठाकर,
अक्स तुम्हारा दिख जाता है...
तुमने नज़रें फेरीं जबसे,
गुमसुम खोया सा रहता हूँ,
बाहर से बेशक हँसता पर,
भीतर से रोया रहता हूँ!
तुम बिना दवा असर नहीं करती,
दिल गहरे से दुख जाता है!
जिधर भी देखूं नज़र उठाकर,
अक्स तुम्हारा दिख जाता है! "
.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक- २४.०५.२०१४
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