Thursday 22 May 2014

♥♥तुम्हे देखकर...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हे देखकर...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम्हे देखकर दिन निकला था, तुम्हे सोचकर रात हो गयी!
पर तुम मिलने न आयीं तो, आँखों से बरसात हो गयी!
एक एक लम्हा तुम्हे पुकारा, बेचैनी के हालातों में,
नहीं पलटकर देखा तुमने, ऐसी भी क्या बात हो गयी!

क्या रंजिश है, क्यों गुस्सा हो, मुझको समझ नहीं आता है!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा, सुबक सुबक कर मुरझाता है!

खुशियों की ख्वाहिश थी लेकिन, पीड़ा की सौगात हो गयी!
तुम्हे देखकर दिन निकला था, तुम्हे सोचकर रात हो गयी...

तुम बिन धड़कन मंद हो गयी, सुनना कहना सब भूला हूँ!
बिना तुम्हारे एक पल को भी, जिन्दा रहना मैं भूला हूँ! 
"देव " तुम्हारे साथ ने मुझको, मंजिल का पथ दिखलाया था,
बिना तुम्हारे टूट गया मैं, मुश्किल को सहना भूला हूँ! 

मुझे तुम्हारे प्यार की ताक़त से, जीने का बल मिलता है!
मुझे तुम्हारे प्यार की ताक़त से, मुश्किल का हल मिलता है!

लेकिन तुमने साथ दिया न, जीती बाज़ी मात हो गयी !
तुम्हे देखकर दिन निकला था, तुम्हे सोचकर रात हो गयी! "

......................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-२१.०५.२०१४

1 comment:

Onkar said...

सुंदर