Tuesday, 3 June 2014

♥कैसी मोहब्बत?..♥

♥♥♥♥♥♥♥कैसी मोहब्बत?..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जाने अब कैसी मोहब्बत वो, निभाने आया!
तोड़कर दिल मेरा वो अपना बताने आया!

मैंने पाला था जिसे खून और पसीने से,
वो सज़ा मौत की मुझको ही सुनाने आया!

अपनी मिन्नत, न तड़प, खुद का दर्द याद नहीं,
मेरे सीने से कभी दिल जो चुराने आया!

जो हक़ीक़त के लिए जान पे खेला कल तक,
आज दौलत के लिए, सर वो झुकाने आया!

मेरे जीते जी नहीं, जिसने की कदर मेरी,
मेरे मरने पे वो काँधे को लगाने आया!

दिन में देता रहा इज़्ज़त का भरोसा लेकिन,
रात में वो ही मुझे, नोंच के खाने अाया! 

"देव" लूटा है मुझे, उसने तसल्ली से मगर,
आज अख़बारों में घर मेरा सजाने आया! "

..........चेतन रामकिशन "देव"….……
दिनांक- ०३.०६.२०१४

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