♥♥♥♥♥पुराने ख़त...♥♥♥♥♥♥
ख़त पुराने तलाश लेने दो!
अपना खोया लिबास लेने दो!
कल मैं सूरत को मांजने में था,
आज दिल को तराश लेने दो।
फिर महल ख़्वाब का बनायेंगे,
ताख में रखे ताश लेने दो!
कल का सूरज हमे मिले न मिले,
आज जी भरके के साँस लेने दो!
दिल के दीये को कब जलाना पड़े,
साथ अपने कपास लेने दो!
खूं जहाँ पर बहा शहीदों का,
मुझको उस थल की घास लेने दो!
"देव" दौलत से जो नहीं मिलती,
वो दुआ माँ की, ख़ास लेने दो! "
........चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-१६.०९.२०१४
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