Saturday, 11 October 2014

♥♥फूल की पंखुरी...♥♥


♥♥♥♥फूल की पंखुरी...♥♥♥♥
फूल की पंखुरी की जैसी हो। 
तुम धरा पर परी के जैसी हो। 

आये अधरों पे प्रेम का वादन,
तुम किसी बांसुरी के जैसी हो। 

देखकर तुमको मचल जाये,
रेशमी तुम, जरी के जैसी हो।  

तेरे छूने से हो गया मैं नवल,
प्रेम की अंजुरी के जैसी हो। 

"देव" तुझसे ही मैं रचूँ कविता,
भाव की तुम झरी के जैसी हो। "

......चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक- ११ .१०.२०१४




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