Tuesday, 4 November 2014

♥♥♥फैसला...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥फैसला...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एक तरफ़ा ही मुझे फैसला वो देके गया।
दर्द का मुझको यहाँ सिलसिला वो देके गया।

मैंने माँगा था सुकूं, उससे हथेली भर ही,
पर मुझे आंसुओं का जलजला वो देके गया।

मैं झुलसता ही रहा आग में ग़मों की यूँ,
न जरा भर भी मुझे होंसला वो देके गया।

पंख खोलूं तो बनें घाव मेरे दामन पर,
मुझको काँटों से भरा घोंसला वो देके गया।

"देव " हर रोज मुझे मारने की कैसी जुगत,
मौत का ऐसा मुझे, काफिला वो देके गया। "

............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-०५.११.२०१४ 

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