Monday 29 December 2014

♥♥♥वजह...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥वजह...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अब लोगों के दिल में, जगह नही मिलती। 
खुश होने की एक भी, वजह नहीं मिलती। 

लोग घमंडी उड़ें भले ही कितने पर,
गिर जाने पे उनको, सतह नहीं मिलती। 

साँस आखिरी जूझो मंजिल पाने को,
थक जाने से जग में, फतह नही मिलती। 

गलती अपनी हो तो माफ़ी में क्या डर,
जिद्दी बनकर देखो, सुलह नहीं मिलती। 

मुल्क लूटने को तो, सब आमादा हैं,
संसद जैसी उनमे कलह नहीं मिलती।  

वो क्या जानें तड़प, जुदाई के आंसू,
प्यार में जिनको एक पल, विरह नही मिलती। 

"देव" यहाँ कानून, अमीरों का गिरवीं,
मुफ़लिस को बिन पैसे, जिरह नही मिलती। "

...............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक--३०.१२.२०१४

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