♥♥♥♥प्रेम की विधा...♥♥♥♥
छंद, गीत, दोहा, चोपाई।
सबमें तेरी छवि समाई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई।
तेरी प्रीत सुख का उजियारा।
तेरी प्रीत की गंगा की धारा।
तेरी प्रीत में भाव हैं बल के,
तेरी प्रीत का हर क्षण प्यारा।
मंत्र प्रेम के जपे जो तुमने,
विधा वही हमने दोहराई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई।
धैर्यवान हो, तुम साधक हो।
प्रेम धर्म की आराधक हो।
सुचित पथों की प्रहरी हो तुम,
गलत मार्ग की तुम बाधक हो।
कंठ दिया मेरे शब्दों को,
मेरी लेखनी नहीं दबाई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई
मंत्रमुग्ध करने वाली हो।
ओस में भीगी हरियाली हो।
"देव" हमारे जीवन में तुम,
हर्षित अमृत की प्याली हो।
मेरे नयन पटल, अधरों पर,
प्रीत की तुमने नदी बहाई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई। "
.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक--०५.०१.१५
छंद, गीत, दोहा, चोपाई।
सबमें तेरी छवि समाई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई।
तेरी प्रीत सुख का उजियारा।
तेरी प्रीत की गंगा की धारा।
तेरी प्रीत में भाव हैं बल के,
तेरी प्रीत का हर क्षण प्यारा।
मंत्र प्रेम के जपे जो तुमने,
विधा वही हमने दोहराई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई।
धैर्यवान हो, तुम साधक हो।
प्रेम धर्म की आराधक हो।
सुचित पथों की प्रहरी हो तुम,
गलत मार्ग की तुम बाधक हो।
कंठ दिया मेरे शब्दों को,
मेरी लेखनी नहीं दबाई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई
मंत्रमुग्ध करने वाली हो।
ओस में भीगी हरियाली हो।
"देव" हमारे जीवन में तुम,
हर्षित अमृत की प्याली हो।
मेरे नयन पटल, अधरों पर,
प्रीत की तुमने नदी बहाई।
बड़ा भाग्य है सखी हमारा,
तेरी प्रीत जो हमने पाई। "
.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक--०५.०१.१५
No comments:
Post a Comment