♥♥♥♥♥बिना तुम्हारे...♥♥♥♥♥♥♥♥
मिलन से जब वंचित होता हूँ।
जाने क्यों कुंठित होता हूँ।
कुछ भी भाता नही हृदय को,
क्षण क्षण मैं विचलित होता हूँ।
इसीलिए प्रयास करो तुम,
निश दिन मुझसे मिला भेंट का,
सखी तुम्हारे दर्शन से मैं,
फूलों सा पुलकित होता हूँ।
तुमसे है सम्बन्ध प्रेम का,
तुम बिन सब कुछ रिक्त लगे है।
तुम बिन चाँद नहीं खिल पाता,
तुम बिन सूरज नहीं जगे है।
बिना तुम्हारे दिशाहीन मैं,
पग पग पे भ्रमित होता हूँ।
सखी तुम्हारे दर्शन से मैं,
फूलों सा पुलकित होता हूँ ....
जब तुम आओ मैं मुस्काउंं,
मैं चोखट पे दीप जलाऊं।
तुमसे ऐसा गठबंधन है,
बिन तुम्हारे न रह पाऊं।
"देव" समूचे विश्व पटल पर,
न पर्याय तुम्हारा कोई,
इसीलिए ही तुमसे विरह,
नहीं जरा भी मैं सह पाऊं।
तुमसे मिलकर जीवन पथ में,
मधु सा मैं मिश्रित होता हूँ।
सखी तुम्हारे दर्शन से मैं,
फूलों सा पुलकित होता हूँ। "
....चेतन रामकिशन "देव"…
दिनांक-२१.०४.२०१५ (CR सुरक्षित )
मिलन से जब वंचित होता हूँ।
जाने क्यों कुंठित होता हूँ।
कुछ भी भाता नही हृदय को,
क्षण क्षण मैं विचलित होता हूँ।
इसीलिए प्रयास करो तुम,
निश दिन मुझसे मिला भेंट का,
सखी तुम्हारे दर्शन से मैं,
फूलों सा पुलकित होता हूँ।
तुमसे है सम्बन्ध प्रेम का,
तुम बिन सब कुछ रिक्त लगे है।
तुम बिन चाँद नहीं खिल पाता,
तुम बिन सूरज नहीं जगे है।
बिना तुम्हारे दिशाहीन मैं,
पग पग पे भ्रमित होता हूँ।
सखी तुम्हारे दर्शन से मैं,
फूलों सा पुलकित होता हूँ ....
जब तुम आओ मैं मुस्काउंं,
मैं चोखट पे दीप जलाऊं।
तुमसे ऐसा गठबंधन है,
बिन तुम्हारे न रह पाऊं।
"देव" समूचे विश्व पटल पर,
न पर्याय तुम्हारा कोई,
इसीलिए ही तुमसे विरह,
नहीं जरा भी मैं सह पाऊं।
तुमसे मिलकर जीवन पथ में,
मधु सा मैं मिश्रित होता हूँ।
सखी तुम्हारे दर्शन से मैं,
फूलों सा पुलकित होता हूँ। "
....चेतन रामकिशन "देव"…
दिनांक-२१.०४.२०१५ (CR सुरक्षित )
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