Wednesday, 22 June 2016

♥कांच......♥

♥♥♥♥♥कांच......♥♥♥♥♥♥
सोचकर रात फिर गुजारी है। 
आँख दुखती है, सांस भारी है।

उसने बीवी का भी किया सौदा,
तौबा इतना बड़ा जुआरी है।

चंद सिक्कों में ही ईमान बिका,
कितनी पैसों की बेकरारी है।

कत्ल करता है सारे रिश्तों का,
आदमी आजकल शिकारी है।

टूटकर दिल भी कांच सा बिखरा,
"देव " अपनों ने चोट मारी है। "
........चेतन रामकिशन "देव"…… 

♥♥गीत का सार...♥♥

♥♥♥♥♥गीत का सार...♥♥♥♥♥♥
गीत का सार बन गये हो तुम। 
रूह का प्यार बन गये हो तुम। 

एक पल को भी तुमको भूला नहीं,
ऐसा किरदार बन गये हो तुम। 

जान तक तेरे नाम कर दूंगा,
मेरे हक़दार बन गये हो तुम। 

मैं महकने लगा गुलों की तरह,
फूल का हार बन गये हो तुम। 

मेरे चेहरे पे है दमक कितनी,
मेरा सिंगार बन गये हो तुम। 

राह मुझको सही दिखाने को,
एक मददगार बन गये हो तुम। 

"देव" तुमसे ही शाम, सुबह मेरी,
मेरा संसार बन गये हो तुम। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-२३.०६.२०१६ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। " 

Thursday, 9 June 2016

♥♥अंगार...♥♥

♥♥♥♥♥अंगार...♥♥♥♥♥♥
अब अंगार सुलग जाने दो। 
कुछ सपने हैं पग जाने दो। 
बहुत रखा आँखों पर पर्दा,
अब तो मुझको जग जाने दो। 

कुछ अच्छा करने की आशा,
आगे बढ़ने की अभिलाषा,
दीपक सा जलकर तो देखूं,
मन में जागी है जिज्ञासा। 
हाँ पथ तो दुर्गम है लेकिन,
न रखी है कोई हताशा। 
नव अंकुर हूँ धीरे धीरे,
सीख रहा मेहनत की भाषा। 

करो केंद्रित नयन लक्ष्य पर,
ऊर्जा नहीं अलग जाने दो। 
बहुत रखा आँखों पर पर्दा,
अब तो मुझको जग जाने दो..

कुछ इतिहास बनाना होगा,
खुद को सबल बनाना होगा,
ये जीवन का सफर है ऐसा,
कुछ खोना, कुछ पाना होगा। 
"देव " हार से कभी न डरना,
स्वयं को यही सिखाना होगा,
निशां रहे क़दमों के बाकी,
बेशक एक दिन जाना होगा। 

सच एक दिन खुलकर रहता है,
कितना पहरा लग जाने दो। 
बहुत रखा आँखों पर पर्दा,
अब तो मुझको जग जाने दो। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-०९.०६.२०१६ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "