Thursday, 9 June 2016

♥♥अंगार...♥♥

♥♥♥♥♥अंगार...♥♥♥♥♥♥
अब अंगार सुलग जाने दो। 
कुछ सपने हैं पग जाने दो। 
बहुत रखा आँखों पर पर्दा,
अब तो मुझको जग जाने दो। 

कुछ अच्छा करने की आशा,
आगे बढ़ने की अभिलाषा,
दीपक सा जलकर तो देखूं,
मन में जागी है जिज्ञासा। 
हाँ पथ तो दुर्गम है लेकिन,
न रखी है कोई हताशा। 
नव अंकुर हूँ धीरे धीरे,
सीख रहा मेहनत की भाषा। 

करो केंद्रित नयन लक्ष्य पर,
ऊर्जा नहीं अलग जाने दो। 
बहुत रखा आँखों पर पर्दा,
अब तो मुझको जग जाने दो..

कुछ इतिहास बनाना होगा,
खुद को सबल बनाना होगा,
ये जीवन का सफर है ऐसा,
कुछ खोना, कुछ पाना होगा। 
"देव " हार से कभी न डरना,
स्वयं को यही सिखाना होगा,
निशां रहे क़दमों के बाकी,
बेशक एक दिन जाना होगा। 

सच एक दिन खुलकर रहता है,
कितना पहरा लग जाने दो। 
बहुत रखा आँखों पर पर्दा,
अब तो मुझको जग जाने दो। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-०९.०६.२०१६ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। " 

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