♥♥इज़हार...♥♥
गुनगुनाते रहे हम तुझे रात भर,
सामने से मगर कुछ भी कह न सके।
खिड़कियां खोलकर के निहारा तुझे,
तुझको देखे बिना हम तो रह न सके।
नाम कागज पे लिखकर संजोया तेरा
आरज़ू तेरी दिल में दबाये रखी।
कोई देखे तुझे और सवालात हों,
तेरी तस्वीर सबसे छुपाये रखी।
तेरे कदमों के नक़्शे निशां पे चला,
धूप में छांव में, और दिन रात में,
मन की हर एक तपन का शमन है तु ही,
तु नमी,ओस और तु ही बरसात में।
तुझसे संवाद में भी हुआ मौन मैं,
शब्द ठहरे के, धारा में बह न सके।
गुनगुनाते रहे हम तुझे रात भर,
सामने से मगर कुछ भी कह न सके....
मेरा संकोच इज़हार करने न दे,
होगा बेहतर तू ही, मेरा मन जान ले।
तुझको अपना समझते जमाना हुआ,
तू भी अपना मुझे, अब सखी मान ले।
"देव " ख्वाबों की नौका चलेगी तभी,
जो तू पतवार बनकर मेरे संग हो।
तू दिवाली के रौशन दिए की तरह,
तुझसे होली का झिलमिल सखी रंग हो।
प्रेम के पथ पे मैं नव पथिक की तरह,
पांव विरह के काँटों को सह न सके।
गुनगुनाते रहे हम तुझे रात भर,
सामने से मगर कुछ भी कह न सके। "
चेतन रामकिशन 'देव'
दिनांक-12.06.2020
(मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )
गुनगुनाते रहे हम तुझे रात भर,
सामने से मगर कुछ भी कह न सके।
खिड़कियां खोलकर के निहारा तुझे,
तुझको देखे बिना हम तो रह न सके।
नाम कागज पे लिखकर संजोया तेरा
आरज़ू तेरी दिल में दबाये रखी।
कोई देखे तुझे और सवालात हों,
तेरी तस्वीर सबसे छुपाये रखी।
तेरे कदमों के नक़्शे निशां पे चला,
धूप में छांव में, और दिन रात में,
मन की हर एक तपन का शमन है तु ही,
तु नमी,ओस और तु ही बरसात में।
तुझसे संवाद में भी हुआ मौन मैं,
शब्द ठहरे के, धारा में बह न सके।
गुनगुनाते रहे हम तुझे रात भर,
सामने से मगर कुछ भी कह न सके....
मेरा संकोच इज़हार करने न दे,
होगा बेहतर तू ही, मेरा मन जान ले।
तुझको अपना समझते जमाना हुआ,
तू भी अपना मुझे, अब सखी मान ले।
"देव " ख्वाबों की नौका चलेगी तभी,
जो तू पतवार बनकर मेरे संग हो।
तू दिवाली के रौशन दिए की तरह,
तुझसे होली का झिलमिल सखी रंग हो।
प्रेम के पथ पे मैं नव पथिक की तरह,
पांव विरह के काँटों को सह न सके।
गुनगुनाते रहे हम तुझे रात भर,
सामने से मगर कुछ भी कह न सके। "
चेतन रामकिशन 'देव'
दिनांक-12.06.2020
(मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )
2 comments:
आपकी कविताएं हिर्दय को छू लेती है बहुत ही गहरे अल्फ़ाज़ है आपके
हाल ही में मैंने ब्लॉगर ज्वाइन किया है जिसमें कुछ कविताएं लिखी है आपसे निवेदन है कि आप उन्हें पढ़े और मुझे सही दिशा नर्देश दे
https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
आपके स्नेह के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
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